Sunday, December 12, 2010

कुछ खो
मुस्लमान और पिछडे वर्गों के लालू प्रसाद यादव सबसे बड़ी ताकत थी ! बड़ी जाती के लोगों कों दबा कर रखा है ! और पन्द्रह सालो तक बिहार पर राज किया !

लेकिन ये अन्याय कब तक चलती , कबतक लोग अपना मजाक बनते हुये देखते, कबतक उनके बहु - baitiyo

Friday, December 10, 2010

कल की बात पूरानी

एक समय ऐसा था की लोगों कों घर से निकलना दूभर था , घर से निकलती ही सडको पर गढ़े उस से आगे बढ़े तो यातायात की परेशनी , अगर घर आने मै शांम हों गई तो मिया खैर नहीं थी की आप सही सलामत घर पहुच ही जाये १ क्यों की बिजली का दूर दूर तक दर्शन नहीं था १ फिर क्या कोई न कोई अँधेरा का फायदा उठाने कों तैयार रहता रहता था १ वह गावो के लोग हों या नामी गिरामी लुटेरे १ हाँ ये भी था की आपके सामान के साथ साथ आप कों भी गायब कर दिया जाता था १ क्या हुआ नहीं समझे १ अजी जनाब फिरोती के लिये १ क्या करे बिचरे लुटेरो कों भी ऊपर ज़ो देना पड़ता है १
गावो मे तो भेड़ बकरियो कों आप ने टहलते हुये तो देख ही होगा , ठीक उही प्रकार ये लुटेरे घुमते थे १ बेफिक्र निरभ्येहोकर सीना ताने हुये , किसी की बकरी ले जाते तो किसी की मुर्गी और तो और कितने की माँ ,बहनो की आबरू से भी खेलते थे १ लेकिन साहब क्या कर सकते थे , वे लोग अगर ज्यादा बोलते तो मरे जाते या उन्हे मोटी रकम चुकाने पड़ती
शिक्षा का तो दूर दूर तक ठिकाना ही नहीं था १ अगर स्कुल है भी तो कोसो दूर, लडके तो दूर जाकर पढ़ सकते थे, लेकिन लडकिय बाप रे घर

से निकलना मुश्किल था हजूर १

अगर कोई बीमार हों गया तो दूर दूर तक कोई हास्पिटल ही नहीं अगर गावो मै हास्पिटल है भी तो उसमे गाय, भैंस बाँधी गई है १ या वह जुए का अड्डा बना है