कुछ न खो
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Sunday, December 12, 2010
Friday, December 10, 2010
कल की बात पूरानी
एक समय ऐसा था की लोगों कों घर से निकलना दूभर था , घर से निकलती ही सडको पर गढ़े उस से आगे बढ़े तो यातायात की परेशनी , अगर घर आने मै शांम हों गई तो मिया खैर नहीं थी की आप सही सलामत घर पहुच ही जाये १ क्यों की बिजली का दूर दूर तक दर्शन नहीं था १ फिर क्या कोई न कोई अँधेरा का फायदा उठाने कों तैयार रहता रहता था १ वह गावो के लोग हों या नामी गिरामी लुटेरे १ हाँ ये भी था की आपके सामान के साथ साथ आप कों भी गायब कर दिया जाता था १ क्या हुआ नहीं समझे १ अजी जनाब फिरोती के लिये १ क्या करे बिचरे लुटेरो कों भी ऊपर ज़ो देना पड़ता है १
गावो मे तो भेड़ बकरियो कों आप ने टहलते हुये तो देख ही होगा , ठीक उही प्रकार ये लुटेरे घुमते थे १ बेफिक्र निरभ्येहोकर सीना ताने हुये , किसी की बकरी ले जाते तो किसी की मुर्गी और तो और कितने की माँ ,बहनो की आबरू से भी खेलते थे १ लेकिन साहब क्या कर सकते थे , वे लोग अगर ज्यादा बोलते तो मरे जाते या उन्हे मोटी रकम चुकाने पड़ती १
शिक्षा का तो दूर दूर तक ठिकाना ही नहीं था १ अगर स्कुल है भी तो कोसो दूर, लडके तो दूर जाकर पढ़ सकते थे, लेकिन लडकिय बाप रे घर
गावो मे तो भेड़ बकरियो कों आप ने टहलते हुये तो देख ही होगा , ठीक उही प्रकार ये लुटेरे घुमते थे १ बेफिक्र निरभ्येहोकर सीना ताने हुये , किसी की बकरी ले जाते तो किसी की मुर्गी और तो और कितने की माँ ,बहनो की आबरू से भी खेलते थे १ लेकिन साहब क्या कर सकते थे , वे लोग अगर ज्यादा बोलते तो मरे जाते या उन्हे मोटी रकम चुकाने पड़ती १
शिक्षा का तो दूर दूर तक ठिकाना ही नहीं था १ अगर स्कुल है भी तो कोसो दूर, लडके तो दूर जाकर पढ़ सकते थे, लेकिन लडकिय बाप रे घर
से निकलना मुश्किल था हजूर १
अगर कोई बीमार हों गया तो दूर दूर तक कोई हास्पिटल ही नहीं अगर गावो मै हास्पिटल है भी तो उसमे गाय, भैंस बाँधी गई है १ या वह जुए का अड्डा बना है
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